घोषणाओं के घोड़े, खाली बटुए – किसानों को एकमुश्त भुगतान का वादा, हकीकत कुछ और

घोषणाओं के घोड़े, खाली बटुए – किसानों को एकमुश्त भुगतान का वादा, हकीकत कुछ और


पैसा न कौड़ी, घोषणा के घोड़ी: किसानों को एकमुश्त भुगतान का दावा, बैंकों में कतारें जारी

बिलासपुर। सरकार ने किसानों को धान के समर्थन मूल्य का एकमुश्त भुगतान और बोनस 1 मार्च तक देने का दावा किया था, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। सहकारी बैंकों में नकदी की कमी बताकर किसानों को घंटों कतार में लगाकर 30-35 हजार रुपये तक की किश्तों में भुगतान किया जा रहा है।

बैंक मैनेजमेंट का दावा, किसानों की परेशानी जारी

जिला सहकारी बैंक के सीईओ का कहना है कि फंड की कोई कमी नहीं है, लेकिन सुरक्षा कारणों से नकदी वितरण को सीमित किया गया है। किसानों के खातों में रकम पहुँच चुकी है और वे आरटीजीएस, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन या चेक के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं।
क्या कहते है बैंक कर्मचारी और प्रबंधक देखे पूरा वीडियो......

हालांकि, इस दावे के बावजूद कई किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेशभर के सहकारी बैंकों में लंबी कतारें देखी जा रही हैं, और अन्नदाता अपने हक के पैसे के लिए परेशान हैं।

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में बढ़ोतरी, लेकिन 30% किसान अभी भी डिजिटल सेवाओं से दूर

बैंकों का कहना है कि अधिकतर भुगतान ऑनलाइन किया जा रहा है, लेकिन एक बड़ी सच्चाई यह भी है कि प्रदेश के 25-30% किसान मोबाइल या ऑनलाइन बैंकिंग का उपयोग ही नहीं करते। वे नकद भुगतान के लिए बैंकों के चक्कर काट रहे हैं।

किसानों की परेशानियों के कुछ मामले

केस-1: बेलतरा शाखा में एक वृद्ध किसान अपनी बेटी की सगाई के लिए 1 लाख रुपये निकालने पहुंचे, लेकिन भीड़ और नकदी की कमी का हवाला देकर बैंक ने सिर्फ 30-40 हजार रुपये ही देने की बात कही। जब किसान ने मजबूरी बताई, तो प्रबंधक ने एटीएम कार्ड से ट्रांजेक्शन करने की सलाह दी।

केस-2: इसी शाखा में एक अन्य किसान ने घर में तेरहवीं के कार्यक्रम का हवाला देकर 1 लाख रुपये मांगे। बैंक ने 50 हजार रुपये तत्काल देने की बात कही और बाकी राशि अगले दिन निकालने को कहा।

पोस्टर में बड़े दावे, लेकिन जमीनी सच्चाई अलग

सरकार एकमुश्त भुगतान के दावे करते हुए जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगा रही है, लेकिन बैंकों में किसानों को किश्तों में भुगतान मिल रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब फंड की कोई कमी नहीं है, तो किसानों को उनके हक का पैसा नकद क्यों नहीं दिया जा रहा?

किसान बोले—सरकार ने किया वादाखिलाफी

धान और किसानों की बदौलत सत्ता में आई सरकार पर अब किसान ही वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। वे पूछ रहे हैं कि जब उनके खाते में पैसा डाल दिया गया है, तो बैंक नकदी की कमी का बहाना क्यों बना रहे हैं? किसानों की इस समस्या को लेकर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो इसका असर आगामी चुनावों में भी दिख सकता है।

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