हनुमंत नगर भूमि विवाद: 40-50 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग
कतरास: धनबाद जिले के कतरास स्थित हनुमंत नगर में भूमि विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद सिन्हा ने बिल्डर अशोक चौरसिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे फर्जी दस्तावेजों के सहारे अवैध रूप से प्लॉटिंग कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। दूसरी ओर, सोसायटी से जुड़े कुछ रैयतों ने अरविंद सिन्हा के दावों को खारिज करते हुए उन्हें भ्रामक बताया है।
अरविंद सिन्हा का पक्ष आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद सिन्हा का कहना है कि हनुमंत नगर स्थित मौजा कतरास (239), खाता संख्या 67, प्लॉट संख्या 1987 की जमीन उनके दादा स्व. भोला प्रसाद लाला सहित अन्य रैयतों की है। उन्होंने दावा किया कि उनके दादा ने अपने हिस्से की एक इंच जमीन भी नहीं बेची है, लेकिन बिल्डर अशोक चौरसिया फर्जी दस्तावेज तैयार कर उक्त भूमि पर अवैध कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी अमीन दो बार जमीन की नापी के लिए आए, लेकिन उन्हें बिना मापी किए ही वापस लौटा दिया गया। यह तथ्य सरकारी अमीन की रिपोर्ट में भी दर्ज है।
यह भी देखे.........
भू-माफिया पर गंभीर आरोप अरविंद सिन्हा ने कहा, “हनुमंत नगर सोसायटी के वास्तविक रैयतों को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए मैं भूमाफिया से लड़ रहा हूं। यदि बिल्डर अशोक चौरसिया का दावा सही है, तो उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि 8 एकड़ जमीन का दस्तावेज अपडेट होने के बावजूद शेष 30 एकड़ जमीन की स्थिति क्या है? किस आधार पर वहां प्लॉटिंग और बिक्री हो रही है?”
उन्होंने कहा कि पूर्व में इस जमीन पर बीसीसीएल ने कोयला खनन किया था, तो फिर सोसायटी निर्माण के लिए अप्रूवल किसने दिया? यदि यह भूमि सरकारी रिकॉर्ड में सोसायटी के नाम दर्ज नहीं है, तो वहां सरकारी स्कूल, चापाकल, कुआं और बिजली के पोल कैसे लगाए गए?
रैयतों का पक्ष सोसायटी के कुछ रैयतों ने प्रेस वार्ता आयोजित कर अरविंद सिन्हा के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि सोसायटी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए झूठी अफवाहें फैलाई जा रही हैं। डेवलपर अशोक चौरसिया के अनुसार, कुल 37.50 एकड़ भूमि में से 8 एकड़ का दस्तावेज अपडेट है और 60% भूमि की रसीदें क्लियर हैं। उनका दावा है कि अरविंद सिन्हा का इस भूमि से कोई संबंध नहीं है।
सरकारी जांच और कार्रवाई की मांग अरविंद सिन्हा ने कतरास थाना, अंचल कार्यालय, बाघमारा एसडीएम, एसएसपी, उपायुक्त, मुख्य सचिव, भू-राजस्व मंत्री दीपक बिरुआ और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शिकायत दी है। मुख्यमंत्री सचिवालय ने धनबाद उपायुक्त को जांच के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि यदि निष्पक्ष जांच होती है, तो 40-50 करोड़ रुपये से अधिक का जमीन घोटाला सामने आ सकता है। सिन्हा ने अशोक चौरसिया से भी जांच में सहयोग करने की मांग की, ताकि सच सामने आ सके।
खनन क्षेत्र में प्लॉटिंग का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि उक्त क्षेत्र में पहले बीसीसीएल का कोयला खनन कार्य चला था, जिससे भूमि की स्थिरता पर सवाल उठते हैं। यदि इस भूमि पर प्लॉटिंग की जाती है, तो भविष्य में वहां रहने वाले लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या प्रशासन इस जोखिम को लेकर कोई कदम उठाएगा?
क्या होगा आगे?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है। क्या सरकार निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों को सजा दिलाएगी या फिर यह मामला कानूनी दांव-पेच में उलझकर रह जाएगा?
0 Comments