एक लाख साठ हजार साल बाद दिखेंगे दो सूरज, धूमकेतु G3 एटलस बनाएगा अद्भुत नजारा

एक लाख साठ हजार साल बाद दिखेंगे दो सूरज, धूमकेतु G3 एटलस बनाएगा अद्भुत नजारा

POWER NEWS 24 BHARAT 13 जनवरी 2025 का दिन इतिहास में दर्ज होने वाला है, क्योंकि इस दिन पृथ्वी पर एक नहीं बल्कि दो सूरज नजर आएंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्योदय से करीब 35 मिनट पहले, पूर्व दिशा में एक बेहद चमकदार रौशनी नजर आएगी। यह रौशनी किसी और चीज की नहीं, बल्कि धूमकेतु G3 एटलस की होगी। इसे अब तक देखा गया सबसे चमकदार धूमकेतु बताया जा रहा है, जो पृथ्वी के बहुत करीब से गुजरने वाला है।

इस दुर्लभ खगोलीय घटना को लेकर खगोलविद और वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं। माना जा रहा है कि यह धूमकेतु शुक्र और बृहस्पति जैसे चमकदार ग्रहों की चमक को भी पीछे छोड़ देगा। इसे बिना किसी विशेष उपकरण के भी देखा जा सकता है, लेकिन बेहतर अनुभव के लिए दूरबीन का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।

एक लाख साठ हजार साल बाद बना दुर्लभ संयोग

वैज्ञानिकों का दावा है कि धूमकेतु G3 एटलस अपना एक चक्कर पूरा करने में 1,60,000 साल का समय लेता है। इसका मतलब है कि यह दुर्लभ घटना किसी भी व्यक्ति के जीवन में केवल एक बार ही देखने को मिलेगी। यह धूमकेतु 13 जनवरी को सूरज के सबसे करीब होगा और इसकी दूरी सूर्य से लगभग 8.7 मिलियन मील होगी।

सूर्य से ठीक ऊपर होगा धूमकेतु

धूमकेतु G3 एटलस सूरज निकलने से पहले, लगभग 35 मिनट पहले पूर्व दिशा में दिखेगा। इसकी लोकेशन सूर्य के ठीक ऊपर होगी। वैज्ञानिकों ने बताया कि सूरज के तेज चमकने से पहले यह धूमकेतु स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। हालांकि, सूरज के उगने के बाद इसकी चमक धीमी पड़ सकती है, जिससे इसे देख पाना मुश्किल होगा।

कैसे हुई धूमकेतु की खोज?

धूमकेतु G3 एटलस को चिली में एटलस सर्वे के दौरान 5 जनवरी को खोजा गया था। शुरुआती दिनों में यह धूमकेतु धुंधला दिखाई दिया, जिससे इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन 2 जनवरी को इसके ऊपर हुए तेज विस्फोट ने इसकी चमक को अचानक बढ़ा दिया, जिससे यह वैज्ञानिकों की नजर में आ गया।

क्या है वैज्ञानिकों की सलाह?

वैज्ञानिकों ने खगोलीय घटना में रुचि रखने वाले लोगों को इस दुर्लभ नजारे का आनंद लेने के लिए दूरबीन का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। हालांकि, सूर्य से इसकी निकटता के कारण इसे देखना आसान नहीं होगा। इसके लिए सही समय और स्थान का ध्यान रखना जरूरी है।

चमक में भी रचेगा इतिहास

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह धूमकेतु अब तक देखे गए सबसे चमकीले धूमकेतुओं में से एक हो सकता है। इसकी चमक शुक्र और बृहस्पति जैसे ग्रहों को भी पीछे छोड़ सकती है।

13 जनवरी की सुबह यह खगोलीय घटना सभी के लिए एक यादगार अनुभव होगी। यदि मौसम साफ रहा और सूर्य की रोशनी बहुत तेज न हुई, तो लोग इस दुर्लभ नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं। वैज्ञानिक इसे मानव इतिहास के सबसे अद्भुत खगोलीय घटनाओं में से एक मान रहे हैं।


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