पत्थलगांव : कहां मिला सम्मान, जब हक के लिए भटकने को मजबूर है किसान, अब सुशासन की सांय सरकार से किसानो की बढ़ रही उम्मीदें??...

पत्थलगांव : कहां मिला सम्मान, जब हक के लिए भटकने को मजबूर है किसान, अब सुशासन की सांय सरकार से किसानो की बढ़ रही उम्मीदें??...

जशपुर, छत्तीसगढ़। जिले के पत्थलगांव तहसील के बुढ़ा डांडा गांव में 50 से अधिक किसान अपनी जमीन के अधिग्रहण के मुआवजे के लिए पिछले पांच वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। अपनी समस्याओं की अनदेखी और प्रशासनिक उदासीनता से परेशान किसानों ने निर्माणाधीन सड़क का काम बंद करवा दिया है और पिछले एक सप्ताह से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसानों की समस्याओं पर प्रशासन का ध्यान नहीं

किसानों का आरोप है कि सड़क निर्माण एजेंसी ने उनकी फसलें बर्बाद कर दीं और बिना मुआवजा दिए ही उनकी जमीन का अधिग्रहण कर लिया। खेतों में उगाई गई साग-सब्जी और अन्य फसलों को जेसीबी से रौंद दिया गया, जिससे उनकी आजीविका पर गहरा संकट मंडराने लगा है। किसान अब मुआवजा पाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं।

कंपनी कर्मचारियों पर दुर्व्यवहार का आरोप

किसानों ने सड़क निर्माण कंपनी के कर्मचारियों पर दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि जब भी वे अपनी समस्याओं को लेकर कर्मचारियों से बात करने गए, उन्हें अभद्र व्यवहार और अपमान का सामना करना पड़ा। आक्रोशित किसानों ने निर्माणाधीन सड़क पर बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक उन्हें उनकी जमीन और फसलों का उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक सड़क निर्माण का कार्य आगे नहीं बढ़ने देंगे।

विधायक गोमती साय का हस्तक्षेप

पीड़ित किसानों ने पत्थलगांव की विधायक गोमती साय से मुलाकात कर अपनी समस्या साझा की। किसानों की परेशानी सुनकर विधायक ने तुरंत मामले का संज्ञान लिया और राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए कि समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए। गोमती साय ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी जमीन और फसल के मुआवजे का भुगतान जल्द से जल्द कराया जाएगा।

किसानों की उम्मीदें और प्रशासन की भूमिका

बुढ़ा डांडा गांव के किसानों की यह समस्या मुआवजे की देरी तक ही सीमित नहीं है। यह प्रशासनिक सुस्ती और किसानों की उपेक्षा का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है। हालांकि, अब विधायक के हस्तक्षेप के बाद किसान उम्मीद कर रहे हैं कि उनके अधिकारों और मुआवजे की प्रक्रिया जल्द पूरी होगी।

पत्थलगांव के किसानों की यह लड़ाई केवल मुआवजे की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासन और सड़क निर्माण कंपनियों की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करती है। किसानों का संघर्ष उनकी जमीन, फसल, और आजीविका की सुरक्षा की मांग का प्रतीक है, जो सुशासन की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाता है। 

"पत्थलगांव के किसान मुआवजे के लिए संघर्षरत, सड़क निर्माण पर लगाया विराम।"


Dulal Mukherjee 


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