सरकारी जमीन की अवैध बिक्री: प्रशासन की सख्ती, दो आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज, एक आरोपी फरार
बिलासपुर – कुदुदंड क्षेत्र में सरकारी जमीन की अवैध बिक्री का गंभीर मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन और सरकारी महकमों को हिला कर रख दिया है। कलेक्टर के निर्देश पर नजूल तहसीलदार शिल्पा भगत ने सिविल लाइंस थाने में भूपेंद्र राव तामस्कर और बिल्डर राजेश अग्रवाल के खिलाफ अपराध दर्ज कराया है। इस मामले में एक आरोपी फरार बताया जा रहा है, जबकि दूसरा आरोपी अग्रिम जमानत लेकर बचने का प्रयास कर रहा है।
कैसे हुआ जमीन का अवैध सौदा?
भूपेंद्र राव तामस्कर ने कुदुदंड स्थित सरकारी जमीन को लीज पर लिया था। लीज खत्म होने के बाद इसका नवीनीकरण करवाया गया। 22 अक्टूबर 2020 को भूपेंद्र राव ने इस जमीन को 13 करोड़ रुपये में बिल्डर राजेश अग्रवाल को बेचने का सौदा कर लिया। राजेश अग्रवाल ने भूपेंद्र राव को एडवांस के तौर पर 1 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया।
इकरारनामा के तहत राजेश अग्रवाल को इस जमीन को पूरी तरह से विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें सड़क, नाली, बाउंड्रीवॉल, बिजली और पानी की व्यवस्था के साथ जरूरी विभागीय अनुमतियां लेकर लेआउट पास कराना शामिल था। लेकिन राजेश अग्रवाल ने बिना किसी अनुमति और शर्तों का उल्लंघन करते हुए 54 टुकड़ों में जमीन बेच दी।
सरकारी संपत्ति की सुरक्षा पर सवाल
जमीन के अवैध टुकड़ों की बिक्री ने सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला भूमि माफिया के नेटवर्क को उजागर करता है, जिसमें सरकारी जमीन पर कब्जा और उसका अवैध व्यापार हो रहा है।
प्रशासन का सख्त रुख
कलेक्टर द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कार्रवाई की गई। नजूल तहसीलदार शिल्पा भगत ने FIR दर्ज कराई, और अब सिविल लाइंस पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
भूपेंद्र राव तामस्कर: आरोपी भूपेंद्र राव अमेरिका भाग चुका है।
राजेश अग्रवाल: आरोपी राजेश अग्रवाल ने अग्रिम जमानत ले ली है और कानूनी कार्रवाई से बचने का प्रयास कर रहा है।
कानूनी प्रक्रिया तेज
सरकारी जमीन की इस अवैध बिक्री ने प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया है। पुलिस अब इस मामले में शामिल सभी लोगों की गतिविधियों की जांच कर रही है। साथ ही, कलेक्टर के निर्देश पर अवैध तरीके से बेची गई जमीन के हर टुकड़े की जानकारी जुटाई जा रही है।
अवैध बिक्री के खिलाफ सरकार की जिम्मेदारी
यह मामला सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। सरकारी जमीन पर कब्जे और अवैध बिक्री के मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रशासन ने इस घटना को भूमि माफिया के नेटवर्क की पोल खोलने का अवसर माना है।
कुदुदंड में सरकारी जमीन की अवैध बिक्री का यह मामला न केवल प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि यह साबित करता है कि सरकार को भूमि माफिया के खिलाफ अपनी कार्रवाई और तेज करनी होगी।
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