रेप पीड़िता को हाईकोर्ट से राहत: गर्भपात की मिली मंजूरी, मेडिकल बोर्ड की लापरवाही पर फटकार

रेप पीड़िता को हाईकोर्ट से राहत: गर्भपात की मिली मंजूरी, मेडिकल बोर्ड की लापरवाही पर फटकार

बिलासपुर | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता प्रेग्नेंट युवती को गर्भपात की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने युवती को शुक्रवार को जिला अस्पताल जाकर गर्भपात कराने का निर्देश दिया। यह निर्णय 23 दिसंबर को दायर याचिका के बाद गुरुवार को सुनवाई के दौरान लिया गया। मामले में शासन की ओर से मेडिकल बोर्ड की लापरवाही पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और मेडिकल बोर्ड को फटकार लगाई।

क्या है पूरा मामला?

युवती ने रेप के बाद गर्भधारण कर लिया था और मानसिक एवं शारीरिक परेशानियों के चलते उसने हाईकोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की। गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई, लेकिन यह सिर्फ एक पेज की ओपीडी पर्ची थी। इस पर्ची में केवल इतना लिखा गया था कि युवती का गर्भपात किया जा सकता है।

जस्टिस रवींद्र अग्रवाल ने इसे बेहद गैरजिम्मेदाराना और शासन की गाइडलाइन का उल्लंघन बताते हुए मेडिकल बोर्ड को हाईकोर्ट में तलब किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रेप पीड़िता के मेडिकल परीक्षण में ब्लड टेस्ट, एचआईवी टेस्ट और सोनोग्राफी जैसी जरूरी जांच शामिल होनी चाहिए थीं।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जस्टिस अग्रवाल ने मेडिकल बोर्ड की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और गंभीरता बरतना जरूरी है। मेडिकल बोर्ड को फटकार लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार की साधारण रिपोर्ट से कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास न किया जाए।

पीड़िता को राहत

कोर्ट ने तुरंत युवती को जिला अस्पताल पहुंचकर गर्भपात कराने का आदेश दिया और यह सुनिश्चित करने को कहा कि पूरी प्रक्रिया मेडिकल गाइडलाइन्स के अनुसार हो। यह निर्णय रेप पीड़िता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया।

इस घटना ने एक बार फिर संवेदनशील मामलों में प्रशासनिक लापरवाही और मेडिकल बोर्ड की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

 

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