एसएसबी ने मधुमक्खी पालन पर आयोजित की कार्यशाला, कार्मिकों को दिया आत्मनिर्भरता का संदेश
गिरिडीह झारखंड: सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 35वीं वाहिनी ने शनिवार को अपने मुख्यालय परिसर में राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य अधिकारियों और कार्मिकों को मधुमक्खी पालन के महत्व और इसके लाभकारी पहलुओं से अवगत कराना था।
कार्यशाला का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र, बेंगाबाद, गिरिडीह के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज सेठ और वैज्ञानिक नवीन कुमार ने किया। इस दौरान तकनीकी विशेषज्ञ सरोज कुमार सिंह ने मधुमक्खी पालन की तकनीकी जानकारी और शहद उत्पादन के तरीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने मधुमक्खी पालन से जुड़े आर्थिक और स्वास्थ्य लाभों पर भी चर्चा की।
मधुमक्खी पालन का महत्व और लाभ:
कार्यशाला में मधुमक्खी पालन को स्वरोजगार का एक सशक्त माध्यम बताया गया। कार्मिकों को समझाया गया कि शहद के उत्पादन के साथ-साथ इसका उपयोग औषधीय, पोषण और सौंदर्य उत्पादों में भी किया जा सकता है। इसके अलावा, मधुमक्खी पालन पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है, क्योंकि मधुमक्खियां परागण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
आत्मनिर्भरता की ओर पहल:
सशस्त्र सीमा बल के अधिकारियों और जवानों ने इस कार्यशाला में बढ़-चढ़कर भाग लिया और मधुमक्खी पालन की तकनीकी जानकारी हासिल की। यह पहल एसएसबी के कार्मिकों को स्वरोजगार की दिशा में प्रेरित करने और उनके आर्थिक सशक्तिकरण की ओर एक कदम है।
कार्यशाला का उद्देश्य:
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि एसएसबी के कार्मिक मधुमक्खी पालन को एक वैकल्पिक रोजगार के रूप में अपनाएं और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएं।
कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों ने इस पहल की सराहना की और मधुमक्खी पालन के प्रति अपनी रुचि व्यक्त की। सशस्त्र सीमा बल द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सहायक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा देने वाला है।
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