आदर्श आचार संहिता के दौरान बिना टेंडर पुल निर्माण पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष का हंगामा, पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव पर भ्रष्टाचार के आरोप
रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में सुकमा जिले के नक्सली प्रभावित क्षेत्र में पुल निर्माण को लेकर बड़ा हंगामा हुआ। कोंटा विधायक कवासी लखमा ने पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव से सवाल किया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद बिना टेंडर के पुल निर्माण के लिए दो फर्मों को काम कैसे सौंपा गया। उनका आरोप था कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़क पर पुलों का निर्माण पीडब्ल्यूडी द्वारा बिना उचित प्रक्रिया के किया जा रहा है।
कवासी लखमा ने यह भी आरोप लगाया कि एक ही नाले पर तीन पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जबकि एक बड़ा पुल बनाकर ना सिर्फ समय की बचत होती, बल्कि जनता के पैसों का दुरुपयोग भी रोका जा सकता था। मंत्री अरुण साव ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जिन पुलों की बात की जा रही है, उनका निर्माण कार्य मई महीने में शुरू किया गया था और टेंडर अब खोला जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस काम के लिए किसी भी ठेकेदार को एक रुपया भी भुगतान नहीं किया गया है और भुगतान टेंडर खुलने के बाद ही किया जाएगा।
मंत्री ने यह भी कहा कि चूंकि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित है, इसलिए जवानों के कैंपों में राशन और अन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए इन पुलों का निर्माण बारिश से पहले करना जरूरी था, जिसके लिए जिला प्रशासन की अनुमति से निर्माण कार्य शुरू किया गया था। उन्होंने इस बात को भी खारिज किया कि इस निर्माण में कोई अनियमितता हुई है।
इसके बावजूद, विपक्षी दलों ने मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं होते हुए भारी हंगामा किया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह से आग्रह किया कि मंत्री से यह सवाल पूछा जाए कि बिना टेंडर के निर्माण कार्य शुरू करने वाले अधिकारियों और इंजीनियरों पर क्या कार्रवाई की जाएगी। बघेल ने इसे सीधे-सीधे भ्रष्टाचार करार दिया, क्योंकि आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान ना तो राज्य सरकार से अनुमति ली गई और ना ही टेंडर की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इसके बाद कांग्रेस के अन्य विधायक जैसे कवासी लखमा और उमेश पटेल ने भी कार्रवाई की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
विपक्षी नेताओं ने मंत्री अरुण साव के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने भ्रष्ट तरीके से काम सौंपे हैं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। मंत्री अरुण साव ने विरोध के बावजूद एक बार फिर यह बताया कि जिन पुलों का निर्माण किया जा रहा है, उसमें एक रुपया भी भुगतान नहीं किया गया है और टेंडर खोले जाने के बाद ही सभी भुगतान किए जाएंगे। लेकिन विपक्ष ने इन जवाबों को नकारते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और कार्यवाही की मांग करते हुए विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।
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