छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: मनरेगा लोकपाल आरटीआई के दायरे में, जानकारी देने का आदेश
बिलासपुर छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में मनरेगा लोकपाल को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाने का फैसला दिया है। कोर्ट ने मनरेगा लोकपाल और जनसूचना अधिकारी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने यह तर्क दिया था कि वे खुद को 'न्यायालय' मानते हैं और इसलिए आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी देने से छूट के पात्र हैं।
कोर्ट ने राज्य सूचना आयुक्त के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि मनरेगा लोकपाल को आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत मांगी गई जानकारी प्रदान करनी होगी। राज्य सूचना आयुक्त ने लोकपाल और जनसूचना अधिकारी को आदेश दिया था कि वे बीरबल रात्रे द्वारा मांगी गई जानकारी 30 दिनों के भीतर प्रदान करें।
लोकपाल का दावा:
लोकपाल और जनसूचना अधिकारी ने अपनी याचिका में यह तर्क दिया था कि वे मनरेगा अधिनियम के तहत ‘न्यायालय’ का दर्जा रखते हैं, और इसलिए आरटीआई की धारा 8 के तहत उन्हें जानकारी देने से छूट प्राप्त है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8 के तहत लोकपाल को कोई विशेष छूट नहीं है।
बीरबल रात्रे ने मांगी थी जानकारी:
बीरबल रात्रे ने 19 अगस्त 2015 को आरटीआई के तहत लोकपाल से 1 जनवरी 2015 से अब तक दर्ज शिकायतों, जांच रिपोर्ट, नोटशीट और लोकपाल द्वारा दर्ज किए गए बयानों की जानकारी मांगी थी। इसके बाद लोकपाल ने जवाब दिया था कि ये जानकारी गुप्त रखने के लिए बाध्य हैं।
सूचना आयुक्त का आदेश:
बीरबल रात्रे की पहली अपील पर जिला पंचायत सीईओ ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष दूसरी अपील की। राज्य सूचना आयुक्त ने 30 अगस्त 2016 को लोकपाल को आदेश दिया था कि वे 30 दिनों के भीतर मांगी गई जानकारी प्रदान करें।
लोकपाल को आरटीआई का पालन करना होगा:
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि मनरेगा अधिनियम के तहत लोकपाल की स्थापना वैधानिक है और लोकपाल से संबंधित सभी जानकारी को आरटीआई के तहत मांगा जा सकता है।
हाईकोर्ट का संदेश:
इस फैसले से यह साफ हो गया है कि मनरेगा लोकपाल अब आरटीआई के दायरे में आएगा और सूचना का अधिकार से संबंधित प्रावधानों का पालन करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि लोकपाल को मांगी गई जानकारी देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
यह फैसला छत्तीसगढ़ में आरटीआई की मजबूती और लोकपाल की पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला है।
0 Comments