प्रशासन के हस्तक्षेप से रैयतों ने बाघमारा सीओ का पुतला दहन कार्यक्रम किया स्थगित, एक सप्ताह में समाधान का आश्वासन
कतरास, धनबाद: बाघमारा अंचल कार्यालय में लंबे समय से अपनी समस्याओं के समाधान की मांग कर रहे रैयतों ने शुक्रवार को अंचल अधिकारी (सीओ) बाल किशोर महतो का पुतला दहन करने का कार्यक्रम तय किया था। लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप और सीओ द्वारा वार्ता के बाद रैयतों ने फिलहाल यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया।
पुतला दहन की तैयारी और प्रशासन की सक्रियता
शुक्रवार दोपहर लगभग 2:30 बजे, बाघमारा अंचल कार्यालय के बाहर रैयत बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए। पुतला लेकर सीओ के खिलाफ नारेबाजी करते हुए, उन्होंने पुतला दहन करने की तैयारी कर ली। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर रैयतों को समझाने और रोकने का प्रयास किया।
स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप और बाघमारा सीओ बाल किशोर महतो द्वारा वार्ता की पहल के बाद रैयतों को उनके कक्ष में बुलाया गया। बातचीत के दौरान सीओ ने सभी समस्याओं के समाधान के लिए एक सप्ताह का समय मांगा और आश्वासन दिया कि 5 जनवरी तक सभी मांगों पर बिंदुवार कार्रवाई की जाएगी।
रैयतों की प्रमुख मांगें और बयान
ग्राम स्वराज के संस्थापक जगत महतो और आरटीआई कार्यकर्ता अरबिंद सिन्हा ने वार्ता के बाद मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अगर 5 जनवरी तक समस्याओं का समाधान नहीं होता है, तो आंदोलन और अधिक व्यापक रूप से जारी रहेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी बाघमारा अंचल अधिकारी की होगी।
जगत महतो ने कहा, "हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी समस्याओं के समाधान की मांग कर रहे हैं। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो हम अगले कदम के लिए बाध्य होंगे।"
बाघमारा सीओ बाल किशोर महतो ने मीडिया को बताया कि रैयतों के साथ सकारात्मक वार्ता हुई है। उन्होंने कहा, "मैंने 5 जनवरी से 10 जनवरी के बीच सभी मांगों के निष्पादन का आश्वासन दिया है। हमारी प्राथमिकता है कि सभी समस्याओं का स्थायी समाधान हो।"
धरना में उपस्थित रैयत और कार्यकर्ता
शुक्रवार को हुए धरना प्रदर्शन में कई रैयत और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। प्रमुख लोगों में मुसीब अख्तर खान, सुमित्रा देवी, अरबिंद सिन्हा, विशाल कुमार महतो, तीता कुमारी उर्फ लक्ष्मी देवी, कैलाश रजवार, कमल महतो, दिलीप कुमार महतो, सलिक मिस्त्री, रूपेश रवानी, और राजा राम महतो शामिल थे।
आंदोलन की अगली योजना
वार्ता के बाद रैयतों ने प्रशासन को एक सप्ताह का समय दिया है। यदि समस्याओं का समाधान निर्धारित समय में नहीं हुआ, तो रैयतों का आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।
यह घटनाक्रम प्रशासन और रैयतों के बीच विवाद को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना होगा कि प्रशासन अपने वादे को समय पर पूरा करता है या आंदोलन और बड़ा रूप लेता है।
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