दिल्ली: परीक्षा के डर ने बनाया 'बम धमकी मेल' भेजने वाला, 7वीं कक्षा के छात्रों का चौंकाने वाला कारनामा
दिल्ली के तीन स्कूलों में पिछले हफ्ते बम धमाके की धमकी भरे मेल मिलने के बाद मची अफरातफरी के बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस की साइबर सेल जांच में पाया गया कि ये मेल किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि स्कूल के ही छात्रों ने भेजे थे। ये कदम उन्होंने परीक्षा से बचने के लिए उठाया।
कैसे हुआ मामला उजागर?
29 नवंबर को रोहिणी सेक्टर-13 स्थित एक स्कूल को धमकी भरा मेल मिला, जिसमें लिखा गया था कि स्कूल में बम प्लांट किया गया है। इस मेल से स्कूल में हड़कंप मच गया। इसी तरह पश्चिम विहार और रोहिणी के अन्य स्कूलों को भी इसी तरह की धमकी भरे मेल प्राप्त हुए। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की साइबर सेल हरकत में आई।
मेल की जांच के दौरान पुलिस ने इसके आईपी एड्रेस को ट्रेस किया और पाया कि ये मेल उसी स्कूल के छात्रों ने भेजे थे। दो अलग-अलग स्कूलों से धमकी भरे मेल भेजने वाले छात्र 12-14 वर्ष की उम्र के थे और दोनों 7वीं कक्षा में पढ़ते हैं।
परीक्षा के डर से किया मेल भेजने का फैसला
पुलिस की पूछताछ में चौंकाने वाला कारण सामने आया। रोहिणी सेक्टर-13 के एक स्कूल के 7वीं कक्षा के छात्र ने यह मेल इसलिए भेजा था क्योंकि वह परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाया था और परीक्षा को टालना चाहता था। वहीं, दूसरे स्कूल के छात्र ने मेल इसलिए भेजा ताकि ऑनलाइन कक्षाएं फिर से शुरू हो जाएं।
परिवार और छात्रों की काउंसलिंग
पुलिस ने धमकी भरा मेल भेजने वाले दोनों छात्रों और उनके परिवारों से पूछताछ की। यह साफ हुआ कि छात्रों का उद्देश्य सिर्फ परीक्षा से बचना था। चूंकि ये छात्र नाबालिग हैं, इसलिए पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की।
पुलिस ने छात्रों को चेतावनी देकर छोड़ दिया और उनके माता-पिता को बच्चों पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी।
देशभर में बढ़ते धमकी भरे मेल्स ने बढ़ाई सुरक्षा एजेंसियों की चिंता
यह मामला केवल मजाक या बच्चों की नादानी लग सकता है, लेकिन पिछले चार महीनों में देशभर में स्कूल, अस्पताल और फ्लाइट्स को धमकी भरे मेल और कॉल मिलने की कई घटनाएं सामने आई हैं। इनमें से कई मामलों में विदेशी सर्वर का इस्तेमाल हुआ है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती
छात्रों द्वारा धमकी भरे मेल भेजने की इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। बच्चों की मासूमियत में किए गए इन कारनामों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बच्चों में डिजिटल उपकरणों का सही तरीके से उपयोग करने की शिक्षा दी जा रही है।
परीक्षा के डर ने छात्रों को इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। यह घटना न केवल माता-पिता और शिक्षकों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी बताती है कि बच्चों में पढ़ाई का सही मानसिक संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है।
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