श्री निवास पानुरी खोरठा के आदिकवि की 104वीं जयंती लोहारबरवा, बरवड्डा, धनबाद में धूमधाम से मनाई गई

श्री निवास पानुरी खोरठा के आदिकवि की 104वीं जयंती लोहारबरवा, बरवड्डा, धनबाद में धूमधाम से मनाई गई

खोरठा भाषा-साहित्य के पुरोधा थे श्री निवास पानुरी विनय तिवारी, खोरठा गीतकार-साहित्यकार

बरवअड्डा/धनबाद: खोरठा के आदिकवि स्वर्गीय श्री निवास पानुरी की 104वीं जयंती 25 दिसंबर को लोहारबरवा, बरवड्डा में उत्साह और सम्मान के साथ मनाई गई। इस अवसर पर खोरठा कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मदन मोहन तोरण ने की, जबकि संचालन खोरठा साहित्यकार एवं गीतकार विनय तिवारी ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत आदिकवि श्री निवास पानुरी के चित्र पर माल्यार्पण कर की गई। इसके पश्चात "परासफूल" खोरठा पत्रिका और "सरधाक फूल" खोरठा कविता संग्रह का विमोचन भी किया गया।

मुख्य अतिथि एवं वक्ता:

इस अवसर पर मुख्य अतिथि टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने खोरठा भाषा और इसके विकास के लिए हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया। विशिष्ट अतिथि, सिंदरी के पूर्व विधायक आनंद महतो ने कहा कि खोरठा भाषा के विकास के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा।

विनय तिवारी का वक्तव्य:

गीतकार एवं साहित्यकार विनय तिवारी ने स्वर्गीय श्री निवास पानुरी को खोरठा भाषा का जनक बताया। उन्होंने कहा, "श्री निवास पानुरी जी ने खोरठा साहित्य को एक नई ऊंचाई दी और इसे जन-जन की पहचान बनाने के लिए आजीवन संघर्ष किया।"

अन्य वक्तव्य और कविता पाठ:

"परासफूल" पत्रिका के संपादक महेंद्र प्रबुद्ध ने अपनी कविताओं का पाठ किया। भोला महतो (नेट इंडिया सुविधा कार्ड्स लिमिटेड के चेयरमैन) ने कहा कि खोरठा भाषा को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के प्रयासों को और तेज करने की जरूरत है। नेतलाल यादव ने खोरठा गीत, संगीत, साहित्य, और सिनेमा के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया

सम्मिलित कवि और साहित्यकार:

इस मौके पर साहित्यकार, कवि, और गीतकार जैसे विनय तिवारी, पुनीत साव, नेतलाल यादव, सुलेमान अंसारी, भीम कुमार, सरोज तिवारी, चितरंजन गोप, संजय वर्णवाल, नरसिंह पांडेय, राजेश ओझा, प्रयाग महतो सहित कई अन्य ने अपनी कविताओं का पाठ किया।

विशेष उपस्थिति:

निर्मला देवी, रेखा देवी, आशा देवी, कृष्णा चौरसिया, उत्तम चौरसिया, राजकिशोर पानुरी, रोहित पानुरी, जतिन पानुरी, राहुल पानुरी, राजीव तिवारी, अनमोल चौरसिया, अंशुमान, राजा बाबू, और रुद्रप्रताप तिवारी सहित बड़ी संख्या में लोग इस आयोजन में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम ने खोरठा भाषा-साहित्य और संस्कृति के प्रति समर्पण को एक बार फिर उजागर किया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के संकल्प को बल दिया।



 

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