जलेश्वर ने बाघमारा में जिस कांग्रेस को डुबोया उसी की नैया पार करने में अब लगा रहे एड़ी चोटी का जोर



कतरास: 12-11-2024
कहते हैं न कि मोहब्बत, जंग और राजनीति में सब जायज है। मोहब्बत पाने के लिए, जंग जीतने के लिए और सत्ता की कुर्सी में बैठने के लिए चाहे जो भी किया जाए सब जायज होता है। इसे इत्तेफाक कहिये या राजनीति का खेल कि जिस जलेश्वर महतो ने वर्ष 2000 में समता पार्टी से चुनाव लड़कर बाघमारा में 28 साल(वर्ष 1972 से 2000 तक) पुराने कांग्रेस के मजबूत किले को अपने तीसरे प्रयास में ध्वस्त कर दिया था, आज उसी कांग्रेस को बाघमारा में फिर से जीवित करने के लिए ऐड़ी रगड़ रहे हैं। वर्ष 1972 से कांग्रेस लगातार बाघमारा में चुनाव जीतती रही। बाघमारा के लाल कहे जाने वाले कांग्रेस नेता ओपी लाल ने (वर्ष 1985 से 2000 तक) 15 वर्षों तक कांग्रेस की बादशाहत को बनाये रखा। उस वक्त बाघमारा कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। बाघमारा में कांग्रेस की तूती बोलती थी। भाजपा कहीं भी रेस में नही थी। लेकिन 2 बार संघर्ष करने के बाद अंततः अपने तीसरे प्रयास में वर्ष 2000 में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर बाघमारा के लाल कहे जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता ओपी लाल को लगभग 4 हजार के करीबी अंतर से हरा दिया। इसी के साथ जलेश्वर महतो ने बाघमारा में कांग्रेस युग का एक दुःखद अंत कर दिया।
                        आज दो दशक बीत चुके हैं। ढुलु महतो के नेतृत्व में बाघमारा अब भाजपा का अभेद्य किला बन चुका है। इस किले को ध्वस्त करने के प्रयास में पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो ढुलु महतो के हाथों तीन दफा शिकस्त खा चुके हैं। इसे राजनीति का खेल कहिये या राजनीति की विवशता, भाजपा प्रत्याशी ढुलु महतो के साम्राज्य का अंत करने के लिए वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जलेश्वर महतो ने उसी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा जिस कांग्रेस पार्टी का उन्होंने 24 साल पहले बाघमारा से नामोनिशान मिटा दिया था। हालांकि एक बार फिर जलेश्वर महतो ढुलु के हाथों करीबी अंतर से चुनाव हार गए। इस बार भी जलेश्वर महतो कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन इस बार परिवारवाद का आरोप झेल रहे भाजपा ने धनबाद सांसद ढुलु महतो के बड़े भाई शत्रुघ्न महतो को बाघमारा से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के बागी बने निर्दलीय प्रत्याशी रोहित यादव के चुनावी दंगल में कूदने से मुकाबला पूरी तरह से त्रिकोणीय हो गया है। इस मुकाबले में कांग्रेस की खोयी हुई प्रतिष्ठा को वापस दिला पाने में जलेश्वर महतो कामयाब हो पाएंगे या नही यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल यही कहा जा सकता है जिसने जान लेकर पुतला बनाया वही पुतला में जान फूंकने की कोशिश कर रहा है।
( जारी...)

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