कतरास: 29-10-2024
कभी नीतीश का राग अलापने वाले जलेश्वर महतो 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2018 में राहुल गाँधी से मिलकर कांग्रेस में शामिल हुए थे और 2019 के विधानसभा चुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा के ढुलु महतो को कड़ा टक्कर देते हुए मात्र 824 वोट से चुनाव हार गए. जलेश्वर महतो की हार का अंतर बहुत कम रहा. शायद यही एकमात्र वजह है जिसके कारण कांग्रेस ने हार की हैट्रिक (कुल 5 बार) लगाने का अनुभव करने वाले जलेश्वर महतो पर अपना भरोसा जताया है. इतना ही नही हार के बाद कांग्रेस ने जलेश्वर महतो को झारखंड प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया. हालांकि अगर बाघमारा में भाजपा की बात करें तो ढुलु के बनाये साम्राज्य और उसके द्वारा बनाये गए चक्रव्यूह को तोड़ना कांग्रेस के लिए इतना आसान नही है. ऊपर से कांग्रेस को अपने पार्टी के भीतर पनपे अंतर्कलह से निपटना भी आसान नही दिख रहा है.
शुक्रवार को कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद रोहित यादव ने पूरे दमखम के साथ सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी पर्चा भरा. सैकड़ों चारपहिया वाहन और हजारों समर्थकों के साथ नामांकन के लिए निकले रोहित यादव के काफिले को देखकर क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष सभी अचंभित हो गए. अपनी जीत की राह में रोड़ा बनते देख जलेश्वर महतो अपने दर्जनों समर्थकों के साथ नामांकन के एक दिन पहले रोहित यादव से मिलने उनके तेतुलिया स्थित आवासीय कार्यालय पहुँचे. सूत्रों के अनुसार वे रोहित यादव को मनाने के लिए उनके कार्यालय पहुँचे थे लेकिन रोहित यादव से उनकी मुलाकात नही हो सकी जिसके कारण जलेश्वर महतो को निराश होकर लौटना पड़ा. रोहित यादव के नामांकन रैली की भीड़ को देखकर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे न केवल चुनावी समीकरण को बिगड़ेंगे बल्कि मुकाबला को त्रिकोणीय बना सकते हैं. कांग्रेस से टिकट पाने की रेस में मात खाने वाले रोहित यादव अपने हजारों समर्थकों के भरोसे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं. कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि यदि उन्होंने चुनावी मैदान में ठीक से फील्डिंग सजाई और दमदार बैटिंग की तो बाघमारा की जनता उन्हें जीत का ताज भी पहना सकती है.
रोहित यादव पहली बार चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. हालांकि वे 5 महीना पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी और गिरिडीह लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किये गए झामुमो प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो की ओर से पूरे बाघमारा में धुँआधार प्रचार किये थे. चुनाव में बाघमारा से गिरीडीह लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को 3 लाख 70 हजार मत मिले जिसमें से 51 हजार से अधिक वोट बाघमारा में मिला. 51 हजार मत प्राप्त करने में रोहित यादव की कड़ी मेहनत से इनकार नही किया जा सकता है. चुनावी सभा और गाँव गाँव दौरा करने से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक का कार्य रोहित यादव और उनके कार्यकर्ताओं ने किया था. कहने को कहे तो ऐसा माना जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के समय ही इन्होंने चुनाव लड़ने का अनुभव कर लिया था जिसका लाभ रोहित यादव को विधानसभा चुनाव में मिल सकता है. राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों का मानना है कि ढुलू महतो के सांसद बन जाने से बाघमारा में भाजपा ने नया प्रत्याशी मैदान में उतारा है.
पिछले चुनाव में बहुत कम अन्तर से हारने वाले जलेश्वर महतो के लिए इस बार जीत की राह आसान लग रही थी. लेकिन रोहित यादव के चुनावी मैदान में उतरने से ऐसा लग रहा है कि जलेश्वर की जीत की राह में रोहित यादव रोड़ा बन सकते हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. (जारी...)
पिछले चुनाव में बहुत कम अन्तर से हारने वाले जलेश्वर महतो के लिए इस बार जीत की राह आसान लग रही थी. लेकिन रोहित यादव के चुनावी मैदान में उतरने से ऐसा लग रहा है कि जलेश्वर की जीत की राह में रोहित यादव रोड़ा बन सकते हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. (जारी...)
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