हार की हैट्रिक लगाने के बाद भी आखिर जलेश्वर पर क्यों है कांग्रेस को भरोसा



अरबिन्द सिन्हा
कतरास: 26-10-2024
अब तक सात बार बाघमारा विधानसभा का चुनाव में केवल दो बार (वर्ष 2000 एवं 2005) सफलता पाने वाले जलेश्वर महतो पर कांग्रेस को अब भी भरोसा क्यों है। आखिर क्या कारण है कि स्व० ओपी लाल से 2 बार और 2005 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ढुलु महतो से लगातार 3 बार पटखनिया खाने के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में बाघमारा से जलेश्वर महतो को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है. वर्तमान हालात पर गौर करें तो यह ठीक आज से 40 वर्ष पहले जैसा प्रतीत हो रहा है जब बाघमारा कांग्रेस का अभेद्य किला बन चुका था. कांग्रेस ने बाघमारा में वर्ष 1972 से वर्ष 2000 तक एक छत्र राज किया. इस बीच कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 1972 में इनामुल हक खान, 1977 व 1980 में शंकर दयाल शर्मा तथा 1985, 1990 व 1995 में ओपी लाल बाघमारा से चुनाव जीतते रहे. बाघमारा में अब तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अकेले 6 बार बाघमारा विधानसभा का सीट जीतकर अपनी झोली में डाला है. लेकिन वर्तमान परिदृश्य बदल चुका है. पिछले एक दशक से हाथ की जगह कमल ने ले लिया है. भाजपा से वर्तमान धनबाद सांसद ढुलु महतो ने विधायक रहते हुए बाघमारा में अपना विशाल साम्राज्य खड़ा किया है. इस साम्राज्य को खत्म करने की कोशिश में जलेश्वर महतो लगातार तीन बार मात खा गए. लगातार तीन बार चुनाव हारने के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा होने लगी की जलेश्वर महतो का राजनीतिक सफर अब अपने अंतिम दौर में है. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से जलेश्वर महतो को अपना उम्मीदवार घोषित करके सबको चौंका दिया. 
                 इधर ढुलु महतो के सांसद बन जाने के बाद बाघमारा का किला और ढुलु का साम्राज्य बचाने का दारोमदार ढुलु महतो के बड़े भाई शत्रुघ्न महतो उर्फ शरद दा के कंधे पर है. शत्रुघ्न महतो भी यही चाहते होंगे कि वे अपने छोटे भाई की विरासत को बचाये और उसे आगे बढ़ाये. बता दे कि विपक्ष के द्वारा परिवारवाद के आरोप लगाने की चिंता किये बगैर भाजपा ने ढुलु के बड़े भाई शत्रुघ्न महतो को इस बार बाघमारा से विधायक प्रत्याशी घोषित किया है. भाजपा किसी सूरत में यह सीट गंवाना नही चाहती है. पिछले 20-25 वर्षों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा ने बाघमारा में अपना पाँव पसारने का काम किया है. वर्तमान में बाघमारा सीट का भगवाकरण हो चुका है. लोकसभा चुनाव 2024 में भी भाजपा समर्थित आजसू उम्मीदवार सीपी चौधरी ने बाघमारा में सबसे अधिक 81 हजार से अधिक वोट लाकर लोकसभा सीट अपने नाम की. अगर जलेश्वर महतो की बात करें तो वे झामुमो(मार्डी) प्रत्याशी के तौर पर वर्ष 1990 और 1995 में ओपी लाल से लगातार दो बार शिकस्त खाने के बाद अपने तीसरे प्रयास में वर्ष 2000 में समता पार्टी से चुनाव लड़कर पहली बार बाघमारा विधानसभा का सीट अपने नाम किया. उन्होंने लगभग 4 हजार के करीबी अन्तर से कांग्रेस  उम्मीदवार ओपी लाल को हराया था. 2005 में जदयू प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और फिर से ओपी लाल को हराया. उसके बाद से आज तक कभी जीत का मुंह नही देख सके. इस बीच 2014 के लोकसभा चुनाव में भी जदयू प्रत्याशी के तौर पर जलेश्वर महतो उतरे और महज 40 हजार वोट अपने खाते में संग्रहित किये. जलेश्वर महतो के लगातार करारी हार झेलने के बाद भी कांग्रेस ने जलेश्वर पर अपना दांव खेला है जिससे एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी के कई कार्यकर्ता भी अचंभित है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी से टिकट की आस लगाए बैठे दूसरे नेताओं में निराशा और बगावत के सुर भी देखने को मिल रहे हैं. (जारी........)

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