भूमिहीन लाभुकों के लिए सिनीडीह पंचायत में सैकड़ों प्रधानमंत्री आवास एडबेस्टर के बनाये गए

एक को छोड़कर सब खाली, लाभुकों ने अब तक नही लिया प्रवेश
धनबाद(कतरास): 15-01-2024
सरकार गरीबों व वंचितों के लिए एक के बाद एक कई कल्याणकारी योजनाएं धरातल पर ला रही है ताकि पिछड़े और वंचित  तबके के लोग भी सम्मान पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सके. लेकिन कुछ खादी वाले और कुछ भ्रष्ट अधिकारी सरकार को बदनाम करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं. धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड अंतर्गत सिनीडीह पंचायत में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना वर्ष 2020-21 के तहत एनएच 32  किनारे सिनीडीह पंचायत के हनुमान नगर के समीप सैकड़ों भूमिहीन लाभुकों का चयन प्रधानमंत्री आवास के लिए कर लिया गया. दो वर्ष पहले ही सैकड़ों आवास बनकर तैयार भी हो चुके है. लेकिन एक को छोड़कर अब तक किसी भी लाभुक ने उक्त आवास में अब तक प्रवेश नही किया है. आवास भी ऐसा बनाया गया है जैसे कोई मार्केट या कॉलोनी बनाया गया हो. एक साथ कई आवास सटा सटाकर बना दिया गया है. जहां आवास बनाया गया है, वहाँ अब लंबे लंबे घास और झाड़ियां उग आई है. दिन रात आवारा पशु विचरण करते हैं. 
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आवास में दरवाजा व खिड़की भी नही, उग आई है घास व झाड़ियां
सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात ये है कि सभी आवास एडबेस्टर के बनाये गए हैं. यहाँ तक कि आवास में न तो दरवाजे लगाए गए हैं और न ही खिड़कियाँ लगाई गई है. हालांकि सरकार सभी को पक्का निर्माण वाला घर देने के लिए दृढ़ संकल्पित है. लेकिन कुछ भ्रष्ट जनप्रतिनिधि व भ्रष्ट अधिकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार करके सरकार को बदनाम करने का काम करते रहते हैं. आसपास के लोगों की माने तो उक्त स्थल में बने सैकड़ों प्रधानमंत्री आवास योजना में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. जिन भूमिहीन लाभुकों के नाम से आवास निर्माण कराया गया है उन लाभुकों को पता ही नहीं है कि उनके नाम से आवास बन चुका है. इसलिए लाभुक अभी तक आवास में प्रवेश नही लिए है. वहीं दूसरी ओर यह कयास भी लगाया जा रहा है कि आवास में दरवाजे व खिड़की भी नही है ऐसे में कोई कैसे रह सकता है. बहरहाल जो भी हो लेकिन इतना तो तय है कि लाभुकों के चयन में पंचायत के द्वारा घोर लापरवाही किया गया है. आवास निर्माण के समय भी विभाग द्वारा लाभुकों से जांच पड़ताल नही किया गया. यह जाँच का विषय है कि जब लाभुकों को आवास का जरूरत नही था तो उन्होंने आवास की रकम अपने खाते में क्यों ली? और किन लोगों के द्वारा वैसे लोगों का चयन कर लिया गया जिन्हें मकान की आवश्यकता ही नही थी. सवाल ये भी उठ रहा है कि जब आवास निर्माण में ढलाई के बदले एडबेस्टर का प्रयोग किया गया और आवास में खिड़की तथा दरवाजे लगाए ही नही गए तो पंचायत के जनप्रतिनिधि व अधिकारियों के बिना भौतिक सत्यापन किए लाभुकों के खाते में क़िस्त की राशि कैसे जाता रहा? इस प्रधानमंत्री आवास निर्माण में भ्रष्टाचार की बू आ रही है. लोगों की माने तो यदि इस मामले की गंभीरता से जाँच पड़ताल किया जाए तो इसमें करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता है.

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